12 अक्तूबर 1938
08 फ़रवरी 2016
दिल्ली, भारत
दिल्ली में पिता मुर्तुज़ा हसन और माँ जमील फ़ातिमा के घर माँ की इच्छा के विपरीत तीसरी संतान नें जन्म लिया जिसका नाम बड़े भाई के नाम के क़ाफ़िये से मिला कर मुक़्तदा हसन रखा गया। दिल्ली कॉर्पोरेशन के रिकॉर्ड में इनके जन्म की तारीख १२ अक्टूबर १९३८ (12 Oct 1938) लिखवा दी गई। पिता स्वयं भी शायर थे। इन्होने अपना बाल्यकाल ग्वालियर में गुजारा जहाँ पर उनकी शिक्षा हुई। उन्होंने १९५८ में ग्वालियर कॉलेज (विक्टोरिया कॉलेज या लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातकोत्तर पढ़ाई पूरी करी।
वो छोटी उम्र से ही लिखने लगे थे। निदा फ़ाज़ली इनका लेखन का नाम है।
एक बार जब वह पाकिस्तान गए तो एक मुशायरे के बाद कट्टरपंथी मुल्लाओं ने उनका घेराव कर लिया और उनके लिखे शेर -
1 - कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता / Kabhi kisi ko mukammal jahaan nahi Milta
2 - बेसन की सोंधी रोटी पर,खट्टी चटनी जैसी माँ / Besan ki sondhi Roti par Khatti chatni jaisi maa
3 - गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला / Garaj Baras pyaasi dharati ko paani de maula
5 - दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती / Dil me naa ho jurrat to muhabbat nahin milti
6 - अब खुशी है न कोई ग़म रुलाने वाला / Ab Khushi hai na koi gam.rulaane vala
7 - अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये / Apna Gam leke kahin aur na jaaya jaaye
8 - बदला न अपने आप को जो थे वही रहे / Badla na apne aap ko jo the vahi rahe
9- धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो / Dhoop me nikalo ghataao se nahaakr dekho
10- दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है / Duniya jise kehte hain jaadu ka khilauna hai
11- बात कम कीजे ज़ेहानत को छुपाए रहिए / Baat kam kije jehanaat ko chhupaye rahiye
12- हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा / Har khati khud se Ulajhna hai mukaddar mera
13-होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है / Hosh valo ko khabar kya bekhudi kya cheez hai
14- सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो / Safar me dhoop to hogi jo chal sako to chalo
Nida fazli |
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